भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश आज अपनी स्थापना के 70वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। एक नवंबर 1956 को अस्तित्व में आए इस राज्य ने बीते दो दशकों में विकास की नई यात्रा शुरू की है, जो अब प्रदेश को देश के अग्रणी राज्यों में शुमार कराने की दिशा में आगे बढ़ रही है।

उन्होंने कहा कि यह सौभाग्य का विषय है कि राज्योत्सव का आयोजन देवउठनी ग्यारस के पावन अवसर पर किया जा रहा है। हमारे तीज-त्योहार और परंपराएं हमारी संस्कृति की आत्मा हैं। उत्सवों के आनंद से ही भविष्य निर्माण की प्रेरणा मिलती है। आज प्रदेश में सभी त्योहारों को व्यापक सांस्कृतिक स्वरूप में मनाया जा रहा है, जिससे परंपराओं के साथ आधुनिकता का समन्वय स्थापित हो रहा है।

प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर पर जताया गर्व

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारत का हृदय प्रदेश- मध्यप्रदेश- वन, जल, अन्न, खनिज, शिल्प, कला, संस्कृति, उत्सव और परंपराओं से समृद्ध है। हमें मां नर्मदा, चंबल, पार्वती और शिप्रा जैसी नदियों का सान्निध्य तथा बाबा महाकाल का आशीर्वाद प्राप्त है। यह भूमि भगवान परशुराम की जन्मस्थली, भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली और आदि शंकराचार्य की तपोभूमि रही है। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने चित्रकूट में अपना महत्वपूर्ण समय व्यतीत किया। मध्यप्रदेश ही राजा नल, भर्तृहरि और सम्राट विक्रमादित्य की जन्मस्थली है। सम्राट विक्रमादित्य ने शकों के आतंक से भारत को मुक्त कराया था और यहीं से संसार की पहली वैज्ञानिक कालगणना “विक्रम संवत्” का आरंभ हुआ था।