भोपाल। चार महीने पहले स्वास्थ्य कारणों से उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा देने वाले जगदीप धनखड़ पहली बार किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नज़र आए। उन्होंने आरएसएस के संयुक्त महासचिव मनमोहन वैद्य की पुस्तक “हम और ये विश्व” के विमोचन समारोह में शामिल होकर भाषण दिया। मंच पर धर्मगुरु, सामाजिककार्यकर्ता और मीडिया जगत की हस्तियाँ भी मौजूद थीं।

आरएसएस के दर्शन और भारत की मजबूती पर धनखड़ की प्रशंसा

धनखड़ ने अपने संबोधन की शुरुआत हिंदी में करते हुए कहा कि आज के दौर में लोग अपनी सोच को ही सच बना लेते हैं, चाहे तर्क इसके खिलाफ हों। इसके बाद उन्होंने अंग्रेजी में बोलना जारी रखा, ताकि श्रोताओं तक उनका संदेश स्पष्ट रूप से पहुँच सके। उन्होंने कहा कि आरएसएस को लेकर कई गलतफहमियाँ फैलाई गई हैं, लेकिन यह पुस्तक उन मिथकों को तोड़ती है और दिखाती है कि संगठन वास्तव में भारत को मजबूत बनाने वाला विचार है।

भारत: सांस्कृतिक विरासत और विश्व नेतृत्व का आधार

उन्होंने कहा कि भारत 6000 वर्षों से भी अधिक पुरानी सभ्यताओं का घर है और उसके पास दुनिया का मार्गदर्शन करने की क्षमता है।

धनखड़ ने कहा—

  • राष्ट्र का अर्थ है सांस्कृतिक एकता

  • धर्म का अर्थ है नैतिक व्यवस्था

  • न्याय का अर्थ है सही प्रशासन

  • और मानव गरिमा भारत की आत्मा है

ये आधार भारत को वैश्विक मंच पर प्रभावी भूमिका निभाने की शक्ति देते हैं।

लोकतंत्र, संविधान और संस्थागत अखंडता पर जोर

कार्यक्रम के दौरान उन्होंने लोकतंत्र और संविधान की मजबूती का उल्लेख करते हुए कहा कि संस्थागत अखंडता किसी समाज की रीढ़ होती है।
उन्होंने आरएसएस की पाँच प्रमुख पहलों—सामाजिक समरसता, परिवार विकास, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी-आत्मनिर्भरता और नागरिक कर्तव्य—को देश निर्माण के लिए महत्वपूर्ण बताया।

CAA का समर्थन—‘यह उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों की सहायता के लिए’

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का समर्थन करते हुए धनखड़ ने कहा कि इसके खिलाफ दिए जाने वाले तर्क गलत हैं। उनके अनुसार, यह कानून किसी भी मौजूदा भारतीय नागरिक के अधिकारों को प्रभावित नहीं करता बल्कि पड़ोसी देशों के उत्पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों को राहत देने के लिए बनाया गया है।

शभक्ति और व्यक्तिगत समर्पण की बात

धनखड़ ने कहा कि भारत का भविष्य जनता के हाथों में है और हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह मजबूत आर्थिक, सांस्कृतिक और सुरक्षा ढांचा तैयार करने में योगदान दे। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका जीवन का उद्देश्य हमेशा से देश सेवा रहा है।

प्रणब मुखर्जी का उदाहरण—आरएसएस मुख्यालय का दौरा

धनखड़ ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की 2018 में नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय यात्रा का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि विवादों के बीच प्रणब दा ने कहा था—मैं यहां भारत माता के एक महान पुत्र का सम्मान करने आया हूं।धनखड़ की मौजूदगी को राजनीतिक रूप से यह संकेत माना जा रहा है कि वह आज भी सत्ता पक्ष की वैचारिक धारा के करीब हैं।

नैरेटिव का चक्रव्यूह और अपने अनुभवों का उल्लेख

धनखड़ ने कहा कि आज समाज में सबसे बड़ी समस्या है नैरेटिव का चक्रव्यूह—

  • “भगवान करे कोई इस चक्रव्यूह में न फंसे… और अगर फंस जाए, तो समझाना मुश्किल है,”
    उन्होंने हास्य में कहा कि वह अपना उदाहरण नहीं दे रहे।

उन्होंने नैतिकता के क्षरण पर भी चिंता जताई और एक पूर्व उपराष्ट्रपति से जुड़ा वाकया बताया, जब कर्तव्य के समय यात्रा संदेश आने पर उन्होंने कहा था कि

कार्यक्रम के बाद बिना मीडिया से बात किए लौटे

कार्यक्रम में आरएसएस के अन्य शीर्ष पदाधिकारी भी मौजूद थे। भाषण समाप्त होते ही धनखड़ बिना मीडिया के सवाल लिए समारोह स्थल से रवाना हो गए।