इस्लामाबाद:
नेपाल और बांग्लादेश के बाद अब पाकिस्तान की नई पीढ़ी—जेनरेशन Z (Gen-Z)—भी अपनी ही सरकार के खिलाफ खुलकर सड़कों पर उतर आई है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में शिक्षा सुधारों को लेकर शुरू हुआ शांतिपूर्ण विरोध अब शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ एक बड़े जनआंदोलन का रूप ले चुका है।
शुरुआत फीस और ई-मार्किंग से, अंत सरकार-विरोधी लहर में
यह आंदोलन सबसे पहले मुजफ्फराबाद की एक यूनिवर्सिटी में बढ़ती फीस और सुविधाओं की कमी के विरोध में शुरू हुआ था।
छात्रों की मांग थी कि फीस घटाई जाए और कैंपस सुविधाओं में सुधार किया जाए। लेकिन हालात तब बिगड़े जब एक अज्ञात बंदूकधारी ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग कर दी। एक छात्र घायल हुआ और इसके बाद गुस्से की लहर फैल गई। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा गया कि प्रदर्शन के दौरान एक व्यक्ति छात्रों पर गोली चला रहा है, जबकि पास में पुलिस मौजूद थी। इस घटना ने आंदोलन को उग्र बना दिया — टायर जलाए गए, सड़कों पर नारे लगे, और PoK में सरकार विरोधी गुस्सा भड़क उठा।
छात्रों की मुख्य मांगें
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ई-मार्किंग सिस्टम की समीक्षा — छात्रों ने आरोप लगाया कि नए डिजिटल मूल्यांकन सिस्टम में भारी गड़बड़ियां हैं।
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री-चेकिंग फीस माफ की जाए — फिलहाल प्रति विषय ₹1500 है, जो कई छात्रों के लिए भारी बोझ है।
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शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार — जर्जर कॉलेज बिल्डिंग्स, खराब ट्रांसपोर्ट और कमजोर हेल्थ सुविधाओं के खिलाफ भी नाराजगी है।
छात्रों का कहना है कि उन्हें गलत विषयों में पास या फेल किया गया है। शिक्षा बोर्ड ने जांच कमेटी बनाई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
JAAC की एंट्री और आंदोलन का विस्तार
इस आंदोलन को अब जॉइंट अवामी एक्शन कमेटी (JAAC) का समर्थन मिल गया है वही संगठन जिसने अक्टूबर में हुए हिंसक प्रदर्शनों का नेतृत्व किया था, जिनमें 12 से अधिक नागरिक मारे गए थे। JAAC ने पहले ही सरकार के खिलाफ 30 मांगों वाला चार्टर पेश किया था जिसमें टैक्स राहत, बिजली-सब्सिडी और अधूरे विकास कार्यों को पूरा करने की बात शामिल थी। सरकार द्वारा गोलीबारी के इस्तेमाल ने जनता के गुस्से को और भड़का दिया, और अब यह आंदोलन सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़े बगावती आंदोलन में बदल चुका है।
