मॉस्को। दुनिया एक बार फिर परमाणु तनाव के दौर में प्रवेश करती दिख रही है। अमेरिका द्वारा न्यूक्लियर मिसाइल परीक्षण किए जाने के कुछ ही घंटों बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को अपने देश में परमाणु हथियार परीक्षण दोबारा शुरू करने का आदेश दे दिया है। पुतिन ने इसके लिए एक औपचारिक प्रस्ताव तैयार करने को कहा है, जिसे विशेषज्ञ “ऐलान-ए-जंग” की तरह देख रहे हैं।
🇺🇸 ट्रंप के टेस्ट के बाद रूस का जवाब
कुछ दिन पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि रूस, चीन और पाकिस्तान जैसे देश गुप्त रूप से परमाणु परीक्षण कर रहे हैं। इसके बाद अमेरिका ने 50 साल पुरानी मिनिटमैन-3 (Minuteman III) इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया।
इस मिसाइल की रेंज करीब 14,000 किलोमीटर है — यानी यह रूस और चीन जैसे देशों तक आसानी से पहुंच सकती है। ट्रंप ने यह भी घोषणा की थी कि 2030 तक मिनिटमैन-3 के आधुनिक वर्जन तैयार किए जाएंगे और तब तक अमेरिका लगातार परीक्षण करता रहेगा।
🔥 पुतिन क्यों भड़के?
पुतिन ने कहा कि रूस ने अब तक व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) का पूरी तरह पालन किया है, लेकिन अगर अमेरिका या कोई और परमाणु शक्ति देश ऐसे हथियारों का परीक्षण जारी रखता है, तो रूस भी पीछे नहीं रहेगा।
उन्होंने कहा,
“मैं विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दे रहा हूं कि वे इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई करें, सुरक्षा परिषद में रिपोर्ट पेश करें और परमाणु परीक्षणों की तैयारी शुरू करें।”
पुतिन ने अमेरिका को चेताते हुए कहा कि “हम अब और चुप नहीं रहेंगे। रूस के पास भी हर स्तर पर जवाब देने की क्षमता है।”
🧨 रूस कहां करेगा परमाणु परीक्षण?
रूस के रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव ने राष्ट्रपति पुतिन को जानकारी दी कि आर्कटिक क्षेत्र के नोवाया जेमल्या (Novaya Zemlya) परीक्षण स्थल को सक्रिय किया जा रहा है। यहीं से जल्द परमाणु हथियार परीक्षण शुरू किए जाएंगे। बेलौसोव ने कहा कि अमेरिका के हालिया एक्शनों को देखते हुए “बड़े पैमाने पर परमाणु परीक्षणों की तैयारी तुरंत शुरू करना ही सही कदम” है।
🌍 बढ़ता वैश्विक तनाव
अमेरिका और रूस दोनों के इस कदम ने विश्व समुदाय की चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर दोनों देशों ने न्यूक्लियर टेस्टिंग फिर शुरू की, तो यह शीत युद्ध (Cold War) जैसे हालात वापस ला सकता है। चीन, उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देशों की निगरानी बढ़ाने की भी जरूरत बताई जा रही है।
संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है, क्योंकि किसी भी प्रकार का परमाणु परीक्षण CTBT समझौते की भावना के खिलाफ होगा।
