नई दिल्ली/ढाका। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने भारत और पीएम मोदी की तारीफ की है। सजीब वाजेद ने पिछले साल बांग्लादेश में हुए राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान अपनी मां शेख हसीना की हत्या के प्रयास को रोकने का क्रेडिट भारत को दिया है। शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने कहा कि भारत की वजह से उनकी मां की जान बची है। उन्होंने यूनूस सरकार और उनकी बांग्लादेशी न्यायिक प्रक्रिया की आलोचना की है। बांग्लादेश में शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई गई है। अमेरिका के वर्जीनिया में समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने बांग्लादेश की मौजूदा यूनूस सरकार पर कानूनों में हेरफेर करने, जजों को बर्खास्त करने और शेख हसीना को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘भारत हमेशा एक अच्छा दोस्त रहा है। संकट के समय भारत ने मूल रूप से मेरी मां की जान बचाई है। अगर वह बांग्लादेश नहीं छोड़तीं, तो आतंकवादियों ने उन्हें मारने की योजना बनाई थी।’

‘मोदी सरकार का आभारी’

उन्होंने शेख हसीना के अगस्त 2024 में भारत भागने का जिक्र करते हुए कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी की सरकार का हमेशा आभारी रहूंगा कि उन्होंने मेरी मां की जान बचाई। बता दें कि 5 अगस्त को शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़कर भागना पड़ा था। उस वक्त प्रदर्शनकारी उनके आवास तक घुस गए थे। आनन-फानन में वो जान बचाकर भारत आई थीं। तब से वह भारत में ही रह रही हैं।

यूनुस पर खूब बरसे हसीना के बेटे

शेख हसीना को मौत की सजा वाली कार्यवाही को बेटे वाजेद ने एक राजनीतिक नाटक बताते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने हर चरण में उचित प्रक्रिया को दरकिनार किया है। उन्होंने कहा, ‘प्रत्यर्पण के लिए न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है। बांग्लादेश में एक सरकार है जो निर्वाचित नहीं है, असंवैधानिक और अवैध है। मेरी मां को दोषी ठहराने के लिए उन्होंने कानूनों में संशोधन किया ताकि उनके मुकदमे को तेजी से निपटाया जा सके। इसलिए ये कानून अवैध रूप से संशोधित किए गए।’

‘जजों को बदला गया’

उन्होंने आगे कहा, ‘मेरी मां को अपने बचाव के वकीलों को नियुक्त करने की अनुमति नहीं दी गई। उनके वकीलों को अदालतों में भी प्रवेश नहीं करने दिया गया।’ उन्होंने आगे दावा किया कि न्यायाधिकरण की संरचना को एक पूर्वनिर्धारित फैसले को सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया गया था। शेख हसीना के बेटे ने कहा, ‘मुकदमे से पहले अदालत में सत्रह जजों को बर्खास्त कर दिया गया, नए न्यायाधीश नियुक्त किए गए, जिनमें से कुछ को बेंच पर कोई अनुभव नहीं था और वे राजनीतिक रूप से जुड़े हुए थे। इसलिए कोई उचित प्रक्रिया नहीं थी। प्रत्यर्पण के लिए उचित प्रक्रिया होनी चाहिए।’